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Showing posts from June, 2020

किरदार

किरदार  आईना इन्सान का सिर्फ़ चेहरा दिखाया करता है  उस अक्स में उसका किरदार तो नहीं  जो किरदार में झलकता है वही ज्ञान है  इल्म पैसों का मोहताज़ तो नहीं  समाज की इस दौड़ ने चिड़ियों के पर काट दिए  हर किरदार मिसाल हो ये ज़रूरी तो नहीं  यूँ तो चाँद भी दावा करता है रौशनी का हर रात  उसका किरदार किसी भी रात सूरज तो नहीं  ये अच्छा है वो बुरा है उसका किरदार बतलाएगा  धर्म उसके किरदार का पहचान पत्र तो नहीं  समाचार भी नफ़ा नुक्सान देखकर बेचे जाते हैं  आज़ाद सोच भी यहाँ आज़ाद तो नहीं  कैसे यकीन करे कोई किसी अख़बार पर  इनके किरदार पर ऐतबार तो नहीं  पुरानी कहानी में पुराने किरदार मिलते हैं  मेरा आज का किस्सा वही पुराना तो नहीं  वो मेरे किरदार से मेरा व्यक्तित्व आँकते हैं  मैं जो कल था आज वही तो नहीं  मैं बेटा हूँ, बाप हूँ, पति हूँ, दोस्त हूँ  मैं हर किरदार में एक ही शख्स तो नहीं  देखा जाए तो परदे में है किरदार हर किसी का  उसके लफ्ज़ उसकी हक़ीक़त तो नहीं  अक्सर यहाँ ज़माने में कहानी बिकती है  किरदार की फ़िक्र कहानीकार को नहीं  उसे भरोसा था मेरे किरदार पर खुद से ज्यादा  पता चला कि वहम मेरा था उसका तो नहीं  किसी कहा