अभी.... ज़िंदा हूँ मैं , ज़िंदा है ज़िन्दगी
तो क्या हुआ आज
थका सा हूँ मैं
तो क्या हुआ आज कुछ
रूका सा हूँ मैं
तो क्या हुआ कुछ सपने
अभी अधूरे से हैं
तो क्या हुआ कुछ अपने
अभी रूठे से हैं
ज़िंदा हूँ मैं , ज़िंदा है ज़िन्दगी
बहुत है अभी
सुनने को कहने को
बहुत है अभी
करने को सहने को
झुका नहीं हूँ बस
रुका हूँ कुछ देर
सपने में ही सही
जीता हूँ कुछ देर
ज़िंदा हूँ मैं , ज़िंदा है ज़िन्दगी
भाग रहे हैं सब
अपनी चाहत के पीछे
कुछ पैसों के पीछे
कुछ राहत के पीछे
कुछ ऐसे भाग रहे हैं
जैसे सब छुट गया है
जो कभी था दिल में अरमाँ
उसका दम घुट गया है
ज़िंदा हूँ मैं , ज़िंदा है ज़िन्दगी
भर आयी है आँख
आँसू छलका नहीं अभी
बोझ है सीने में दफ़न
हुआ हल्का नहीं अभी
ये कैसा है तूफान
जो आज मेरे अंदर है
किस से कहूँ यहाँ
ये सियासतों का समंदर है
ज़िंदा हूँ मैं , ज़िंदा है ज़िन्दगी
शायद कभी कागज़ पर लिख दूँ
दिल में है जो बताने को
तरस गया हूँ सुकून से
यहाँ दो पल बिताने को
ये ज़िन्दगी है दोस्त
सुकून कहाँ दे पाएगी
उसका नाम मौत है
जो अपना वादा निभाएगी
अभी.... ज़िंदा हूँ मैं , ज़िंदा है ज़िन्दगी
|| लेख़क : सौरव बंसल ||
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