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लॉकडाउन स्टोरी


लॉकडाउन स्टोरी

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आज विष्णु ऑफिस से घर आते वक़्त बहुत चुप सा था
माँ बाबा से कुछ बात करना चाहता था मगर कैसे करे ये समझ नहीं पा रहा था
जैसे ही घर पहुँचा, माँ ने उसके पसंद का खाना परोसा
बाबा भी अपने कमरे से बाहर आ गए
रिटायरमेंट के बाद बाबा अपना ज़्यादा वक़्त घर पर ही गुज़ारने लगे थे
तीन लोगों के इस छोटे से परिवार में खुशियाँ छोटी छोटी चीज़ों में ही मिल जाती थी
विष्णु ने खाना खत्म किया और बाबा के साथ बॉलकनी में चला गया

तू आज बहुत चुप सा है, कुछ बोलना चाहता है क्या - बाबा ने पूछा

विष्णु ने निवेदन किया -
बाबा , मैं विदेश जा कर नौकरी करना चाहता हूँ
मैंने अमेरिका की एक कंपनी में अप्लाई  किया था
और उन्होंने मुझे नौकरी करने का प्रस्ताव पत्र भी भेज दिया है बाबा
मुझे अगले महीने जाना होगा

बाबा चुप चाप विष्णु की बात सुन रहे थे मानो उन्हें जिस बात का डर था...
अब होनी उसी की तरफ इशारा कर रही थी

तू थक गया होगा जा कर आराम कर ले
इतना बोल कर बाबा उठे और अपने कमरे में चले गए

विष्णु समझ गया कि बाबा की इसमें रज़ामंदी नहीं थी ...
कि वो अपना घर, अपना देश छोड़ कर किसी दूसरे देश में जा कर नौकरी करे
विष्णु चुप चाप माँ के पास रसोई में गया और माँ  की मदद करने लगा

क्या बात है विष्णु तू कुछ परेशान लग रहा है - माँ ने पूछा

माँ अमेरिका की एक कंपनी में मुझे नौकरी लगी है और मैं जाना चाहता हूँ
मगर मुझे लगता है कि बाबा नहीं मानेंगे
 - विष्णु ने गंभीर स्वर में सब बताया

माँ भी थोड़ा चिंतित हुई मगर फिर मुस्कुराकर बोली -
तू जा कर आराम कर ले , तेरे बाबा से मैं बात कर लूँगी

विष्णु के सपने को जैसे नए पंख मिल गए हों
ख़ुशी उसके चेहरे पर किसी शीशे की तरह चमक उठी
आखिर माँ ने बाबा को मना लिया और वो दिन भी आ गया जब विष्णु अपने सपनों की उड़ान भरने को तैयार था

मैं हर रोज़ फोन करूँगा बाबा, आप चिंता मत करना
मैंने रेखा ताई को बोल दिया है माँ, वो रोज़ाना घर का काम करने आ जाया करेगी
आप अपनी सेहत का ख्याल रखना -
- विष्णु ने माँ बाबा से आशीर्वाद लेते हुए बोला

तू हमारी चिंता मत कर, बस अपना ख्याल रखना और मन लगा कर काम करना
-  माँ ने भरे हुए गले से विष्णु के सर पर हाथ फेरते हुए बोला

एक साल बीत गया

विष्णु हर रोज़ माँ बाबा से फोन पर बात करता था
कहता था कि यहाँ की ज़िन्दगी बहुत अलग है, बहुत अच्छी है
मैं आप दोनों को भी जल्दी ही यहाँ ले आऊंगा

फिर एक दिन पता चला कि कोरोना नाम का वायरस पूरी दुनिया में फैल चुका है
भारत में भी बाकी देशों की तरह लॉकडाउन की घोषणा कर दी गयी है

विष्णु फोन पर माँ से बात कर रहा था -
रेखा ने घर आना बंद कर दिया है बेटा पर तू चिंता मत कर हम ठीक हैं
तू अपना ख्याल रखना

आज विष्णु की घर पर बात नहीं हो पायी
शायद फोन में सिग्नल नहीं आ रहा था

आज चार दिन बीत गए मगर घर पर बात नहीं हो पायी
घर पर किसी का भी फोन नहीं लग रहा, विष्णु का दिल घबराने लगा
धड़कनें भी तेज़ हो गयी, आज उसने अपने पुराने पड़ोसी को फोन किया

नमस्ते अंकल, माँ बाबा का फोन नहीं लग रहा, मेरी चार दिन से उनसे बात नहीं हो पायी
आप प्लीज़ मेरे घर जा कर माँ बाबा से मेरी बात करवा दीजिये

जैसे ही पड़ोस वाले अंकल घर के गेट पर पहुंचे, बहुत गन्दी बदबू आने लगी
अंकल काफी घबरा गए, उन्होंने पूरे मोहल्ले को बुलाया और पुलिस को भी फोन किया
घर का दरवाज़ा अंदर से बंद था

पुलिस ने जैसे ही दरवाज़ा तोड़ा तो देखा कि माँ बाबा बिस्तर पर अपना शरीर छोड़ कर परलोक जा चुके हैं
पुलिस ने घर की तहक़ीक़ात की तो पता चला कि घर में ना तो खाने का सामान है और ना ही पीने का पानी
पोस्टमॉर्टम में आया कि भूख से दोनों तीन दिन पहले ही जा चुके थे

विष्णु का पूरा संसार जैसे उसके सामने चूर हो गया
रो रो कर उसका हाल बेहाल था

विष्णु की सहमती लेकर मोहल्ले वालों ने माँ बाबा का अंतिम अनुष्ठान किया
अपने आप को कोसता हुआ बोल रहा था कि मैंने भगवान से ये तो नहीं माँगा था

विष्णु आज भी इंतज़ार कर रहा है कि कब लॉकडाउन खुलेगा

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|| लेख़क : सौरव बंसल || 

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