.. सफ़र..
ये सफ़र भी कितना सुहाना होगा
अजनबियों के साथ आना जाना होगा
एक अनजाने शहर को चला ,
परिंदों का जैसे घराना होगा
ये सफ़र भी कितना सुहाना होगा
आँखों ही आँखों में बातें होंगी
दिल का मगर घबराना होगा
ये सफ़र भी कितना सुहाना होगा
बातें होंगी मुलाकातें होंगी
कुछ नयी सी सौगातें होंगी
थोड़ा सुनते थोड़ा सुनाते
हसते हसाते रूठते मनाते
सात दिनों का ये फ़साना होगा
ये सफ़र भी कितना सुहाना होगा
रास्तों की रखकर ख़बर
चल पड़े सब साथ में ,
बन इस सफ़र के हमसफ़र
फिर कहीं किसी सोच में ,
हर शख्स का यही गुनगुनाना होगा
ये सफ़र भी कितना सुहाना होगा
कुछ नए पुराने ख्याल होंगे
ज़हन में कई सवाल होंगे
एक सूरत जानी अनजानी होगी
कहती शायद कोई कहानी होगी
इस रंगमंच में हर कोई सयाना होगा
ये सफ़र भी कितना सुहाना होगा
नए रिश्ते होंगे कुछ गहरे सम्बन्ध होंगे
कुछ यादगार पलों के हसीन प्रसंग होंगे
इस सफ़र से जब वापिस आना होगा
यकीनन ये अनुभव लुभावना होगा
यादों की किताब में जैसे ,
नए अध्याय का जुड़ जाना होगा
ये सफ़र भी कितना सुहाना होगा
ये सफ़र भी कितना सुहाना होगा
अजनबियों के साथ आना जाना होगा
एक अनजाने शहर को चला ,
परिंदों का जैसे घराना होगा
ये सफ़र भी कितना सुहाना होगा
|| लेख़क : सौरव बंसल ||
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